Monday, February 17, 2025

अब सौंप दिया

 अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में।

है जीत तुम्हारे हाथों में, नहीं हार तुम्हारे हाथों में॥


मेरा निश्चय बस एक यही, एक बार तुम्हे पा जाऊं मैं।

अर्पण करदूँ दुनिया भर का,  सब प्यार तुम्हारे हाथों में॥


जो जग में रहूँ तो ऐसे रहूँ, ज्यों जल में कमल का फूल रहे।

मेरे सब गुण दोष समर्पित हों, करतार तुम्हारे हाथों में॥


यदि मानव का मुझे जनम मिले, तो तव चरणों का पुजारी बनू।

इस पूजक की एक एक रग का,  हो तार तुम्हारे हाथों में॥


जब जब संसार का कैदी बनू, निष्काम भाव से करम करूँ।

फिर अंत समय में प्राण तजूं, निरंकार तुम्हारे हाथों में॥


मुझ में तुझ में बस भेद यही, मैं नर हूँ तुम नारायण हो।

मैं हूँ संसार के हाथों में, संसार तुम्हारे हाथों में॥

No comments:

उत्थित लोलासन क्या है? उत्थित लोलासन करने का सरल विधि, विशेष लाभ, सावधानी और निष्कर्ष

  उत्थित लोलासन क्या है ? उत्थित लोलासन करने का सरल विधि , विशेष लाभ , सावधानी और निष्कर्ष   उत्थित लोलासन (Utthita Lolasana) एक योगासन...