मत्स्या विरासन क्या है? मत्स्या विरासन करने का सरल विधि, विशेष लाभ, सावधानी और निष्कर्ष

 मत्स्या विरासन क्या है? मत्स्या विरासन करने का सरल विधि, विशेष लाभ, सावधानी और निष्कर्ष

मत्स्या विरासन योग का एक सरल और आरामदायक आसन है, जो रीढ़, छाती और फेफड़ों को खोलने में मदद करता है। यह मत्स्या विरासन का आसान रूप है, इसमें गर्दन और छाती को हल्का पीछे की ओर मोड़कर रीढ़ को खिंचाव दिया जाता है, जिससे श्वसन तंत्र, हृदय और थायरॉइड ग्रंथि को लाभ मिलता है।

मत्स्या विरासन


मत्स्या विरासन करने की विधि

  1. प्रारंभिक स्थितिदरी या योगा मैट पर बैठ जाएँ और पैरों को सामने फैलाएँ।
  2. बैठक बनाएँदोनों पैरों को क्रॉस करके पद्मासन में बैठें।
  3. पीछे झुकनाधीरे-धीरे पीछे की ओर झुकते हुए कोहनी और फिर पीठ को मैट पर रखें।
  4. सिर की स्थितिगर्दन को हल्का पीछे मोड़कर सिर का ऊपरी भाग जमीन से लगाएँ।
  5. हाथों की स्थितिदोनों हाथ सिर के की ओर तान कर आराम से जमीन पर रखें, हथेलियाँ खुली हुई।
  6. श्वास पर ध्यानआँखें बंद करें और गहरी, धीमी श्वास लें।
  7. स्थिति में रहना – 20–40 सेकंड तक आसन में रहें, फिर धीरे-धीरे वापस बैठने की स्थिति में आएँ।

विशेष लाभ

  • छाती और फेफड़ों का विस्तारश्वसन क्षमता बढ़ती है, अस्थमा व सांस संबंधी समस्याओं में मददगार।
  • थायरॉयड और पैराथायरॉयड ग्रंथियों का उत्तेजनहार्मोन संतुलन में सहायक।
  • रीढ़ की लचीलापनगर्दन और पीठ के ऊपरी हिस्से में खिंचाव और मजबूती।
  • तनाव कम करनामानसिक शांति और ध्यान क्षमता में वृद्धि।
  • पाचन सुधारपेट के अंगों में रक्त संचार बढ़ता है।

सावधानी

  • गर्दन या रीढ़ की चोट होने पर यह आसन न करें।
  • हृदय रोगी या उच्च रक्तचाप वाले लोग चिकित्सक की सलाह से करें।
  • बहुत ज्यादा पीछे गर्दन न मोड़ें, वरना खिंचाव आ सकता है।
  • गर्भावस्था में यह आसन सामान्यत: न करने की सलाह दी जाती है।

निष्कर्ष

मत्स्या विरासन शुरुआती लोगों के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी योगासन है, जो श्वसन तंत्र को मजबूत करने, रीढ़ की लचीलापन बढ़ाने और मानसिक शांति देने में मदद करता है। इसे नियमित अभ्यास में शामिल करने से शरीर और मन दोनों को लाभ मिलता है—लेकिन हमेशा सावधानी और शरीर की क्षमता के अनुसार अभ्यास करें।

 

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