अर्ध उष्ट्रासन क्या है? अर्ध उष्ट्रासन करने की सरल विधि, विशेष लाभ, सावधानी और निष्कर्ष
अर्ध उष्ट्रासन क्या है?
अर्ध उष्ट्रासन (Ardha Ushtrasana) योग की एक मुद्रा है, जो "उष्ट्रासन" अर्थात "ऊँट मुद्रा" का एक सरल और
प्रारंभिक रूप है। इसमें शरीर को पीछे की ओर झुकाया जाता है, जिससे पीठ, छाती और पेट की अच्छी स्ट्रेचिंग होती है। यह आसन रीढ़ की लचीलापन बढ़ाने
और शरीर में ऊर्जा का संचार करने में मदद करता है।
अर्ध उष्ट्रासन
अर्ध उष्ट्रासन करने की सरल विधि:
1. वज्रासन में बैठ जाएं।
2. धीरे-धीरे खड़े हो जाएं, घुटनों के बल (जैसे वज्रासन में होते हैं), पैर थोड़े दूरी पर रखें।
3. दाएं हाथ को पीछे की ओर ले जाएं और
दाएं पैर की एड़ी को पकड़ें।
4. बाएं हाथ को ऊपर की ओर उठाएं और
सांस भरते हुए पीछे की ओर झुकें।
5. गर्दन को भी पीछे ले जाएं और छाती
को खोलें।
6. इस स्थिति में 10 से 30 सेकंड तक
रहें और सामान्य रूप से सांस लें।
7. वापस आने के लिए पहले ऊपर आएं, हाथ को छोड़ें और फिर वज्रासन में बैठ जाएं।
- इसी प्रक्रिया को दूसरे हाथ
से दोहराएं।
अर्ध उष्ट्रासन के विशेष लाभ:
- रीढ़ की हड्डी को लचीलापन
मिलता है।
- पीठ दर्द में राहत मिलती है।
- छाती और फेफड़े फैलते हैं, जिससे श्वसन क्षमता बढ़ती है।
- पाचन तंत्र मजबूत होता है।
- थायरॉइड ग्रंथि को सक्रिय
करता है।
- शरीर में ऊर्जा का संचार होता
है और तनाव कम होता है।
- पेट की चर्बी कम करने में
सहायक होता है।
सावधानियाँ:
- उच्च रक्तचाप या सिर चक्कर
आने की समस्या हो तो यह आसन ना करें।
- गर्दन या पीठ में गंभीर चोट
होने पर डॉक्टर या योग प्रशिक्षक की सलाह लें।
- आसन करते समय झटके न लगाएं, धीरे-धीरे मुद्रा बनाएं और
छोड़ें।
- घुटनों के नीचे मुलायम कपड़ा
या योगा मैट का प्रयोग करें।
निष्कर्ष:
अर्ध उष्ट्रासन एक सरल लेकिन प्रभावशाली योग मुद्रा है, जो शरीर को लचीला बनाती है, रीढ़ की हड्डी को मजबूती देती है और मानसिक शांति
प्रदान करती है। नियमित अभ्यास से यह आसन स्वास्थ्य के कई लाभ देता है। इसे
सावधानीपूर्वक और सही विधि से करना जरूरी है, ताकि इसका अधिकतम लाभ मिल सके। यदि आप योग में नए हैं या किसी स्वास्थ्य
समस्या से ग्रस्त हैं, तो योग विशेषज्ञ से मार्गदर्शन
लेना उचित होगा।
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