सुप्त वज्रासन क्या है? सुप्त वज्रासन करने की सरल विधि, विशेष लाभ और सावधानी व निष्कर्ष
सुप्त
वज्रासन (Supta
Vajrasana) योग का एक
महत्वपूर्ण आसन है, जो वज्रासन की स्थिति से शुरू होकर
पीठ के बल लेटने की मुद्रा में किया जाता है। यह आसन शरीर को लचीला बनाने, पाचन तंत्र को सुधारने और मानसिक शांति प्रदान करने
में सहायक होता है।
सुप्त वज्रासन |
- वज्रासन में बैठें: घुटनों को मोड़कर एड़ियों पर
बैठ जाएं, दोनों पैरों के अंगूठों को
आपस में मिलाएं और रीढ़ को सीधा रखें।
- पीछे की ओर झुकें: धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकें, पहले कोहनियों को जमीन पर
टिकाएं।
- पीठ के बल लेटें: कोहनियों का सहारा लेते हुए
धीरे-धीरे पीठ को जमीन पर टिकाएं।
- हाथों की स्थिति: हाथों को सिर के ऊपर या शरीर
के बगल में सीधा रखें।
- सांस पर ध्यान दें: गहरी सांस लें और छोड़ें, इस स्थिति में 30 सेकंड से 1 मिनट तक रहें।
- वापसी: हाथों की सहायता से धीरे-धीरे कोहनियों को जमीन पर टिकाकर ऊपर आएं और फिर वज्रासन में बैठ जाएं।
सुप्त वज्रासन के विशेष लाभ
- पाचन तंत्र में सुधार: यह आसन पाचन क्रिया को उत्तेजित
करता है और कब्ज जैसी समस्याओं में राहत प्रदान करता है।
- पेट की मांसपेशियों को मजबूत
बनाता है: इससे पेट की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और पेट
की चर्बी कम होती है।
- रीढ़ की हड्डी और पीठ के लिए
लाभकारी: यह आसन रीढ़ की हड्डी को
मजबूत बनाता है और पीठ दर्द में राहत देता है।
- जांघों और घुटनों की
मांसपेशियों को टोन करता है: इससे जांघों और घुटनों की मांसपेशियां मजबूत
होती हैं।
- मानसिक शांति और तनाव में कमी: यह आसन मानसिक शांति प्रदान करता है और तनाव को कम करता है।
सावधानियां
- घुटनों, टखनों या पीठ में दर्द होने
पर यह आसन न करें। यदि आपको हृदय रोग, हर्निया या स्लिप डिस्क की
समस्या है, तो चिकित्सकीय सलाह लें।
- गर्भवती महिलाओं को यह आसन
नहीं करना चाहिए। यदि कूल्हों में किसी प्रकार की चोट या दर्द हो, तो इस आसन का अभ्यास न करें।
- शुरुआत में धीरे-धीरे अभ्यास करें: जब तक शरीर पूरी तरह से लचीला न हो जाए, तब तक धीरे-धीरे अभ्यास करें और शरीर पर अधिक जोर न डालें।
सुप्त
वज्रासन एक प्रभावी योग आसन है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। यह पाचन तंत्र को सुधारता है, मांसपेशियों को मजबूत बनाता है और मानसिक शांति
प्रदान करता है। हालांकि, इसे करते समय सावधानियों का पालन करना आवश्यक है ताकि
किसी प्रकार की चोट या असुविधा से बचा जा सके। यदि आप योग में नए हैं या किसी स्वास्थ्य समस्या से
ग्रस्त हैं, तो योग विशेषज्ञ से मार्गदर्शन
लेना उचित होगा।
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