चिता दहति निर्जीवं ( श्लोक अर्थ सहित)

चिता दहति निर्जीवं, चिंता चैव सजीवकम्    

चिता निर्जीव को जलाती है , जबकि चिंता जीवन को ही जलाती रहती है 

( समयोचितपध्यमालिक )

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