ब्रह्मचर्यासन क्या है? ब्रह्मचर्यासन करने की सरल विधि, विशेष लाभ, सावधानी और निष्कर्ष
ब्रह्मचर्यासन क्या है?
ब्रह्मचर्यासन (Brahmacharyasana) एक योगासन है जो विशेष रूप से
ब्रह्मचर्य (यौन संयम) के पालन और मानसिक एकाग्रता को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
इस आसन का उद्देश्य शरीर की ऊर्जा को ऊर्ध्वगामी करना और मन को स्थिर करना है।
ब्रह्मचर्यासन |
ब्रह्मचर्यासन करने की सरल विधि
- जमीन पर वज्रासन में बैठ जाएं
(घुटनों के बल बैठकर एड़ियों पर)।
- फिर दोनों पैरों को बाहर की
ओर इस प्रकार फैलाएं कि नितंब और गुदा का भाग जमीन से स्पर्श करता रहे।
- हाथों को घुटनों पर रखें और
शांतचित्त होकर सीधे बैठें।
- गर्दन सीधी रखें और आंखें बंद
करके ध्यान केंद्रित करें।
- इस स्थिति में 5 से 10 मिनट तक रहें।
ब्रह्मचर्यासन के विशेष लाभ
- स्वप्नदोष और यौन विकारों में
लाभकारी: इस आसन के अभ्यास से
वीर्यवाहिनी नाड़ी का प्रवाह ऊर्ध्वगामी होता है और सिवनी नाड़ी की उष्णता कम
होती है, जिससे स्वप्नदोष जैसी
समस्याओं में राहत मिलती है।
- मानसिक एकाग्रता में वृद्धि: यह आसन मन को शांत करता है और
ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।
- पाचन तंत्र को सुधारता है: भोजन के बाद इस आसन का अभ्यास
पाचन में सहायक होता है।
- शारीरिक ऊर्जा का संरक्षण: ब्रह्मचर्य के पालन में
सहायता करता है, जिससे शारीरिक और मानसिक
ऊर्जा का संरक्षण होता है।
सावधानियाँ
- यदि घुटनों, पीठ या कमर में कोई समस्या हो
तो इस आसन को करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लें।
- गर्भवती महिलाएं इस आसन से
परहेज करें।
- अत्यधिक दर्द या असुविधा
महसूस होने पर अभ्यास तुरंत रोक दें।
निष्कर्ष
ब्रह्मचर्यासन एक सरल और प्रभावी योगासन है जो न केवल यौन संयम में
सहायता करता है, बल्कि मानसिक एकाग्रता और पाचन
तंत्र को भी सुधारता है। नियमित अभ्यास से व्यक्ति शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनता है।
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