योग मुद्रासन क्या है? योग मुद्रासन करने की सरल विधि, विशेष लाभ, सावधानी और निष्कर्ष
योग मुद्रासन क्या है?
योग मुद्रासन (Yoga Mudrasana) एक क्लासिकल योग आसन है, जिसे "Psychic Union Pose" भी कहा जाता है। यह एक बैठने वाला आसन है जो शरीर, मन और आत्मा के बीच गहरा संबंध स्थापित करता है। यह
विशेष रूप से पेट के अंगों पर प्रभाव डालता है और ध्यान व प्राणायाम की गहराई को
बढ़ाता है। इसे आमतौर पर ध्यान या साधना के दौरान किया जाता है।
योग मुद्रासन करने की सरल विधि:
- आरंभिक स्थिति:
पद्मासन (Lotus Pose) में बैठें। दाहिना पैर बाईं जांघ पर और बायां पैर दाईं जांघ पर रखें। - हाथों की स्थिति:
(क) दोनों
हाथों को नाभि के ऊपर रखें। ( एक बार में दाहिना हांथ नीचे उसके ऊपर
बयां हांथ, दूसरी बार में बयां हांथ नीचे उसके ऊपर दाहिना हांथ )
(ख) दोनों
हाथों को पीछे ले जाएं और एक-दूसरे की कलाई पकड़ें या एक हाथ से दूसरे हाथ की कलाई
या कोहनी पकड़ें।
- सांस और झुकाव:
गहरी सांस लें। फिर सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे आगे की ओर झुकें। सिर और ठुड्डी को जमीन से लगाने का प्रयास करें। (जितना सहज हो उतना झुकें) - स्थिति बनाए रखें:
इस अवस्था में कुछ सेकंड से लेकर एक मिनट तक रुकें। धीरे-धीरे समय बढ़ाया जा सकता है। - वापसी:
गहरी सांस लेते हुए धीरे-धीरे शरीर को ऊपर उठाएं और वापस प्रारंभिक स्थिति में आएं।
योग मुद्रासन के विशेष लाभ:
- पाचन शक्ति को बढ़ाता है और
कब्ज की समस्या दूर करता है।
- पेट के अंगों (जैसे यकृत, प्लीहा) की मालिश करता है और
उन्हें सक्रिय करता है।
- मेरुदंड को लचीला और मजबूत
बनाता है।
- मानसिक तनाव और चिंता को कम
करता है।
- ध्यान में स्थिरता लाता है और
आत्म-साक्षात्कार में सहायक है।
- वजन घटाने में सहायक।
- डायबिटीज और गैस्ट्रिक
समस्याओं के लिए लाभकारी।
योग मुद्रासन करते समय सावधानियां:
- घुटनों, कूल्हों या रीढ़ की किसी
गंभीर चोट या समस्या हो तो इस आसन से बचें।
- उच्च रक्तचाप या हार्निया के
मरीज इसे चिकित्सक या योग शिक्षक की सलाह से करें।
- शुरुआत में हल्का अभ्यास करें, जब शरीर में लचीलापन बढ़े तो
धीरे-धीरे झुकाव बढ़ाएं।
- गर्भवती महिलाओं को यह आसन
नहीं करना चाहिए।
- जबरदस्ती या जोर लगाकर झुकने
का प्रयास न करें।
निष्कर्ष:
योग
मुद्रासन एक अत्यंत प्रभावशाली और ध्यान केंद्रित करने वाला आसन है जो न केवल
शारीरिक स्वास्थ्य को उत्तम बनाता है, बल्कि मानसिक स्थिरता और आंतरिक शांति भी प्रदान करता है। नियमित अभ्यास से
यह आसन साधक को गहरी साधना और आत्मानुभूति की ओर ले जाता है। सही विधि और सावधानी
के साथ इसका अभ्यास करना अत्यंत लाभकारी है।
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