Wednesday, March 19, 2025

चन्द्रभेदी या चन्द्रांग प्राणायाम

चन्द्रभेदी या चन्द्रांग प्राणायाम


 इस प्राणायाम में बाई नासिका से पूरक करके, अन्तः कुम्भक करें। 

इसे जालन्धर एवं मूलबन्ध के साथ करना उत्तम है। 

तत्पश्चात् दाई नाक से रेचक करें। 

इसमें हमेशा चन्द्रस्वर से पूरक एवं सूर्यस्वर से रेचक करते हैं। 

सूर्यभेदी इससे ठीक विपरीत है। 

कुम्भक के समय पूर्ण चन्द्रमण्डल के प्रकाश के साथ ध्यान करें। 

शीतकाल में इसका अभ्यास कम करना चाहिए।


लाभ :- शरीर में शीतलता आने से थकावट एवं उष्णता दूर होती है। 

मन की उत्तेजनाओं को शान्त करता है। 

पित्त के कारण होने वाली जलन में लाभदायक है।

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