अर्ध चंद्रासन क्या है? अर्ध चंद्रासन करने का सरल विधि, विशेष लाभ, सावधानी और निष्कर्ष
घुटने के बल खड़े होकर किया जाने
वाला अर्ध
चंद्रासन यह एक विशेष आसन है — यह पारंपरिक खड़े होकर करने वाले अर्ध चंद्रासन (Half Moon Pose) से थोड़ा अलग है। यह घुटनों के बल
किया जाने वाला एक वैरिएशन है, जिसे अक्सर वज्रासन से शुरू करके किया जाता है और जिसमें
शरीर को धीरे-धीरे पीछे की ओर मोड़ा जाता है।
अर्ध चंद्रासन |
अर्ध चंद्रासन (घुटनों के बल, हाथ सीने के सामने) – सरल विधि
- शुरुआत
- वज्रासन
(घुटनों के बल बैठने) में आएं।
- पैरों
के पंजे सीधे पीछे की ओर हों और रीढ़ सीधी रखें।
- तैयारी
- घुटनों
के बल खड़े हो जाएं, जांघें
सीधी रखें।
- हाथों
को एक दुसरे को पकड़ कर सीने के सामने रखें।
- आसन
बनाना
- सांस
लेते हुए कमर से धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकें।
- इस
दौरान नितंब और जांघों की मांसपेशियों को सक्रिय रखें ताकि पीठ पर ज़्यादा
दबाव न पड़े।
- संतुलन
बनाए रखते हुए सिर को हल्का पीछे झुकाएं।
- स्थिति
बनाए रखना
- सामान्य
सांस लेते हुए 5–10
सेकंड
तक रुकें (शुरुआती साधक कम समय लें)।
- धीरे-धीरे
वापस सीधे आ जाएं।
विशेष लाभ
- रीढ़
की लचीलापन बढ़ाता है और पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करता
है।
- छाती
और फेफड़ों का विस्तार करता है, जिससे सांस लेने की क्षमता बेहतर होती है।
- जांघ, कूल्हे
और पेट की
मांसपेशियों को टोन करता है।
- पाचन तंत्र को
सक्रिय करता है और कब्ज़ में लाभकारी है।
- मन को एकाग्र और
संतुलित करने में मदद करता है।
सावधानियां
- कमर, रीढ़, या घुटनों में गंभीर दर्द या
चोट हो तो न करें।
- हाई
ब्लड प्रेशर और हृदय रोगियों को सावधानी से या प्रशिक्षक की देखरेख में करना
चाहिए।
- पीछे झुकते
समय अचानक जोर न लगाएं, धीरे-धीरे झुकें।
- गर्भवती
महिलाएं यह आसन न करें।
निष्कर्ष
घुटनों के
बल खड़े होकर किया जाने वाला अर्ध चंद्रासन एक सरल लेकिन प्रभावी योगासन है, जो रीढ़ की लचीलापन, शारीरिक संतुलन और श्वसन क्षमता को
बढ़ाता है। सही विधि, नियंत्रित सांस और सावधानियों का
पालन करते हुए यह आसन शरीर को ऊर्जावान और मन को शांत रखने में सहायक है।
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