भारद्वाज आसन क्या है? भारद्वाज आसन करने का सरल विधि, विशेष लाभ, सावधानी और निष्कर्ष

 भारद्वाज आसन क्या है? भारद्वाज आसन करने का सरल विधि, विशेष लाभ, सावधानी और निष्कर्ष

 

भारद्वाज आसन (Bharadvajasana) एक प्रमुख बैठकर किया जाने वाला ट्विस्ट योगासन है। यह महान ऋषि भारद्वाज के नाम पर रखा गया है। यह आसन रीढ़ की हड्डी, कंधे और पाचन तंत्र के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है। इसे अंग्रेज़ी में Bharadvaja’s Twist Pose भी कहते हैं।

भारद्वाज आसन
                                         


भारद्वाज आसन करने की सरल विधि

1.     सबसे पहले दरी/मैट पर दण्डासन (दोनों पैर सीधे फैलाकर) बैठ जाएँ।

2.     दाएँ पैर को मोड़कर एड़ी को बाएँ नितम्ब (hips) के पास रखें।

3.     बाएँ पैर को मोड़कर पाँव को दाएँ जाँघ के पास रख लें (अर्ध-वज्रासन जैसी स्थिति) या पद्मासन में बैठ जाएँ I

4.     अब श्वास भीतर लेते हुए रीढ़ को सीधा करें।

5.     श्वास छोड़ते हुए धड़ को दाईं ओर मोड़ें।

6.     बायाँ हाथ दाएँ घुटने पर रखें और दायाँ हाथ पीछे ज़मीन पर टिकाएँ या दाहिना हांथ से दाहिना पैर को पकड़ें।

7.     सिर और गर्दन भी दाईं ओर मोड़ें और दृष्टि पीछे की ओर रखें।

8.     इस स्थिति में 20–30 सेकंड तक रुकें, फिर सामान्य स्थिति में आ जाएँ।

9.     इसी प्रकार दूसरी ओर (बाएँ तरफ़) से भी करें।


विशेष लाभ

  • रीढ़ की हड्डी को लचीलापन और मज़बूती प्रदान करता है।
  • पाचन क्रिया, भूख और कब्ज़ में लाभकारी।
  • कमर दर्द, पीठ दर्द और सर्वाइकल समस्या में आराम देता है।
  • कंधे, गर्दन और कमर की अकड़न दूर करता है।
  • नसों को शिथिल कर तनाव और थकान कम करता है।
  • डायबिटीज़, लिवर और किडनी की कार्यक्षमता में सहयोगी।
  • रीढ़ की नसों और तंत्रिका तंत्र को सक्रिय करता है।

सावधानियाँ (Precautions):

·         गर्भवती महिलाएँ यह आसन न करें।

·         रीढ़, पीठ या हर्निया, अल्सर, स्लिप डिस्क जैसी गंभीर समस्या होने पर डॉक्टर/योग विशेषज्ञ की सलाह लें।

·         अचानक झटके से शरीर को न मोड़ें, धीरे-धीरे करें।

·         उच्च रक्तचाप और चक्कर आने की समस्या वाले लोग सावधानी बरतें।

  • शुरुआत में योग शिक्षक की देखरेख में ही करें।

निष्कर्ष

भारद्वाज आसन एक सरल लेकिन प्रभावी योगासन है, जो रीढ़, पाचन तंत्र और स्नायु तंत्र के लिए अत्यंत लाभकारी है। यह शरीर को लचीला बनाता है और मानसिक तनाव कम करता है। नियमित अभ्यास से पाचन, रीढ़ की सेहत और मानसिक शांति में विशेष सुधार होता है। परंतु, इसे हमेशा सावधानीपूर्वक और विशेषज्ञ मार्गदर्शन में करना चाहिए।

 

बद्ध कोणासन क्या है? बद्ध कोणासन करने का सरल विधि, विशेष लाभ, सावधानी और निष्कर्ष

 बद्ध कोणासन क्या है? बद्ध कोणासन करने का सरल विधि, विशेष लाभ, सावधानी और निष्कर्ष

 

बद्ध कोणासन (Baddha Konasana)
संस्कृत में "बद्ध" का अर्थ है बंधा हुआ (Bound), "कोण" का अर्थ है कोण (Angle) और "आसन" का अर्थ है बैठने की योग मुद्रा (Posture)
इसे तितली आसन (Butterfly Pose) या कपोतासन (Cobbler’s Pose) भी कहते हैं।

 

    



1. बद्ध कोणासन करने की सरल विधि

1.     किसी समतल जगह पर योगा मैट बिछाकर सीधे बैठ जाएँ।

2.     दोनों पैरों को सामने फैलाएँ।

3.     अब घुटनों को मोड़कर दोनों पैरों के तलवों को आपस में मिलाएँ।

4.     एड़ी और पंजे को शरीर के जितना पास ला सकें उतना लाएँ।

5.     दोनों हाथों से पंजों या अंगूठों को मजबूती से पकड़ें।

6.     पीठ व गर्दन सीधी रखें और कंधों को ढीला छोड़ें।

7.     धीरे-धीरे साँस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें। इसमें हांथ को पंजो को पकड़ करके भी कर सकते है या हांथ को आगे लेते हुए भी कर सकते है

8.     श्वास लेते हुए धीरे-धीरे वापस आयें और पैरों को सीधा कर आसन समाप्त करें।


2. बद्ध कोणासन के विशेष लाभ

पाचन में सुधारगैस, कब्ज, अपच जैसी समस्याओं में सहायक।
गर्भवती महिलाओं के लिए उपयोगीश्रोणि (Pelvic) क्षेत्र की मांसपेशियों को मज़बूत करता है और प्रसव को सहज बनाता है।
प्रजनन अंगों को लाभपुरुषों व महिलाओं दोनों के प्रजनन स्वास्थ्य को सहारा देता है।
कमर और कूल्हों की लचीलापनहिप्स, जांघ और ग्रोइन क्षेत्र की जकड़न को खोलता है।
मानसिक शांतिनियमित अभ्यास से तनाव और थकान दूर होती है।
सियाटिका और पीठ दर्द में राहतरीढ़ की हड्डी और निचले हिस्से को आराम देता है।


3. सावधानियाँ

⚠️ यदि घुटने या कूल्हे में गंभीर चोट है तो यह आसन न करें।
⚠️ रीढ़ की गंभीर समस्या (स्लिप डिस्क) वाले विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें।
⚠️ गर्भवती महिलाएँ केवल योग शिक्षक या डॉक्टर की सलाह से करें।
⚠️ आसन करते समय ज़बरदस्ती न करें, पैरों को जितना आराम से लाया जा सके उतना ही लाएँ।


4. निष्कर्ष

बद्ध कोणासन एक सरल लेकिन प्रभावी योगासन है जो शरीर को लचीला, पाचन को दुरुस्त और मानसिक शांति प्रदान करता है। यह विशेष रूप से महिलाओं के लिए लाभकारी माना जाता है क्योंकि यह गर्भावस्था और मासिक धर्म संबंधी समस्याओं में मदद करता है। नियमित अभ्यास से यह आसन स्वास्थ्य और संतुलन बनाए रखने में सहायक है।

 

पर्वत आसन क्या है? पर्वत आसन बैठ कर करने वाला का सरल विधि, विशेष लाभ, सावधानी और निष्कर्ष

पर्वत आसन क्या है? पर्वत आसन बैठ कर करने वाला का सरल विधि, विशेष लाभ, सावधानी और निष्कर्ष

पर्वतासन (Parvatasana)
पर्वत” का अर्थ है पहाड़ और “आसन” का अर्थ है बैठने की स्थिर स्थिति। इस आसन में शरीर का आकार पहाड़ जैसा स्थिर व ऊर्ध्वगामी प्रतीत होता है। यह आसन अधिकतर बैठकर किया जाता है और ध्यान, प्राणायाम या अन्य साधना के लिए भी उपयुक्त है।

पर्वतासन



🌿 पर्वतासन की सरल विधि (बैठकर करने की विधि)

  1. सुखासन, पद्मासन, सिद्धासन या वज्रासन में बैठ जाएँ।
  2. रीढ़ को सीधा रखें और गर्दन भी सीधी रखें।
  3. श्वास भरते हुए दोनों हाथों को सामने से ऊपर उठाएँ।
  4. हथेलियाँ एक-दूसरे से मिलाकर सीधी ऊपर की ओर खींचें।
  5. कंधे कानों से दूर रखें और हाथ जितना हो सके उतना ऊपर खिंचाएँ।
  6. पूरे शरीर को ऊपर की ओर खिंचाव दें, मानो आसमान की ओर फैल रहे हों।
  7. इस स्थिति में सामान्य श्वसन करते हुए 10–30 सेकंड तक रुकें।
  8. धीरे-धीरे श्वास छोड़ते हुए हाथों को नीचे लाएँ और विश्राम करें।
  9. इसे 2–3 बार दोहराएँ।

🌟 पर्वतासन के लाभ

  • रीढ़ की हड्डी, कंधे और भुजाओं को मजबूत और लचीला बनाता है।
  • शरीर में खिंचाव लाकर थकान व जकड़न दूर करता है।
  • कंधों व पीठ की अतिरिक्त चर्बी घटाने में सहायक।
  • श्वसन तंत्र को मजबूत करता है, फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है।
  • ध्यान और प्राणायाम से पहले करने पर एकाग्रता व शांति प्रदान करता है।
  • लंबाई (height) बढ़ाने में बच्चों व किशोरों को लाभकारी।
  • रक्त संचार को संतुलित करता है और मानसिक तनाव घटाता है।

⚠️ सावधानियाँ

  • जिन्हें उच्च रक्तचाप, हृदय रोग या चक्कर की समस्या हो, वे इसे अधिक देर तक न करें।
  • हाथ, कंधे या गर्दन में चोट/सर्जरी होने पर अभ्यास न करें।
  • खिंचाव को अपनी क्षमता से अधिक न दें।
  • गर्भवती महिलाएँ बिना योग शिक्षक की देखरेख के न करें।

निष्कर्ष

पर्वतासन एक सरल, बैठकर करने वाला आसन है जो शरीर को ऊर्जावान, रीढ़ को सीधा और मन को स्थिर करता है। यह प्राणायाम और ध्यान के लिए शरीर को तैयार करने वाला श्रेष्ठ आसन है। नियमित अभ्यास से शारीरिक लचीलापन, मानसिक एकाग्रता और शांति प्राप्त होती है।

 

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