Saturday, August 9, 2025

उत्थित लोलासन क्या है? उत्थित लोलासन करने का सरल विधि, विशेष लाभ, सावधानी और निष्कर्ष

 

उत्थित लोलासन क्या है? उत्थित लोलासन करने का सरल विधि, विशेष लाभ, सावधानी और निष्कर्ष

 

उत्थित लोलासन (Utthita Lolasana) एक योगासन है जिसमें शरीर को खड़े होकर आगे झुकाया जाता है और दोनों हाथों को ढीला छोड़कर हिलाया जाता है, जैसे लटकती हुई लटकन (pendulum)। यह आसन विशेष रूप से रीढ़, कंधे और मानसिक तनाव को मुक्त करने में सहायक है। "उत्थित" का अर्थ है खड़ा होना, और "लोल" का अर्थ है ढीला व झूलता हुआ

                                        उत्थित लोलासन


1. उत्थित लोलासन करने की सरल विधि

  1. प्रारंभिक स्थिति
    • सीधे खड़े हों, दोनों पैर कंधे की चौड़ाई पर रखें।
    • हाथ शरीर के बगल में ढीले रखें।
  2. आसन में प्रवेश
    • धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए कमर से आगे झुकें,
    • घुटनों को थोड़ा ढीला रखें (पूरी तरह सीधा न करें)।
    • दोनों हाथों को ढीला छोड़ दें, ज़मीन की ओर लटकने दें।
  3. लोलासन गति
    • शरीर को थोड़ा-सा आगे-पीछे या दाएँ-बाएँ हल्के से झुलाएँ,
    • गर्दन, कंधे और हाथ पूरी तरह शिथिल हों।
    • श्वास को सामान्य और सहज रखें।
  4. वापस आने की प्रक्रिया
    • झूलना रोकें,
    • धीरे-धीरे सांस लेते हुए कशेरुकाओं को क्रम से सीधा करते हुए खड़े हो जाएँ।
    • सिर को सबसे अंत में उठाएँ।

समय – 30 सेकंड से 2 मिनट तक, अपनी क्षमता अनुसार।


2. विशेष लाभ

  • रीढ़ की थकान दूर करता हैदिनभर बैठने/खड़े रहने से हुई जकड़न कम करता है।
  • कंधे और गर्दन का तनाव घटाता हैकंप्यूटर, मोबाइल या तनाव से हुई जकड़न में राहत।
  • रक्त संचार बढ़ाता हैमस्तिष्क तक रक्त प्रवाह बढ़ने से ताजगी महसूस होती है।
  • मन को शांत करता हैचिंता और मानसिक तनाव को कम करने में सहायक।
  • पीठ के निचले हिस्से को आराम देता हैहल्का स्ट्रेच और दबाव कम।

3. सावधानियाँ

  • उच्च रक्तचाप, चक्कर या वर्टिगो की समस्या होने पर धीरे-धीरे करें और सिर नीचे अधिक देर न रखें।
  • गर्भावस्था के दौरान न करें।
  • पीठ या रीढ़ में गंभीर चोट हो तो अभ्यास से पहले विशेषज्ञ की सलाह लें।
  • झुलाते समय जोर न लगाएँ, गति स्वाभाविक रखें।

4. निष्कर्ष

उत्थित लोलासन एक सरल, सुरक्षित और तुरंत आराम देने वाला आसन है, जो खासकर थकान, तनाव और पीठ-गर्दन की जकड़न दूर करने में उपयोगी है। यह किसी भी उम्र में, थोड़ी सावधानी के साथ, रोज़मर्रा के जीवन में शामिल किया जा सकता है।

 

Friday, August 8, 2025

उत्थित पार्श्वकोणासन क्या है? उत्थित पार्श्वकोणासन करने का सरल विधि, विशेष लाभ, सावधानी और निष्कर्ष

 

उत्थित पार्श्वकोणासन क्या है? उत्थित पार्श्वकोणासन करने का सरल विधि, विशेष लाभ, सावधानी और निष्कर्ष

 

उत्थित पार्श्वकोणासन क्या है?

उत्थित पार्श्वकोणासन (Utthita Parshvakonasana) संस्कृत में

  • "उत्थित" = फैलाया हुआ / विस्तारित
  • "पार्श्व" = बगल / साइड
  • "कोण" = कोण / एंगल
  • आसन = स्थिति या मुद्रा

यह एक खड़े होकर किया जाने वाला संतुलन और स्ट्रेचिंग योगासन है, जो पूरे शरीर को सक्रिय करता है, विशेषकर कमर, जांघों, पेट और कंधों को।

            


                उत्थित पार्श्वकोणासन


1. सरल विधि (Step-by-Step)

  1. ताड़ासन में खड़े हों।
  2. पैरों को लगभग 3–4 फीट तक फैलाएं।
  3. दायां पैर 90° बाहर घुमाएं, बायां पैर थोड़ा अंदर।
  4. सांस छोड़ते हुए दायां घुटना मोड़ें, जांघ ज़मीन के समानांतर रखें।
  5. दायां हाथ नीचे लाकर दाएं पैर के बाहर (या टखने के पास) रखें, हथेली ज़मीन पर टिकाएं।
  6. बायां हाथ सीधा ऊपर उठाकर सिर के ऊपर ले जाएं, कान के पास, हथेली नीचे की ओर।
  7. दृष्टि बाएं हाथ की उंगलियों की दिशा में रखें।
  8. 20–30 सेकंड तक गहरी सांस लें, फिर सांस लेते हुए धीरे-धीरे वापस आएं।
  9. यही प्रक्रिया बाईं ओर से दोहराएं।

2. विशेष लाभ

  • पेट और कमर की मांसपेशियों को मजबूत और लचीला बनाता है।
  • जांघ, घुटने और टखने की शक्ति बढ़ाता है।
  • छाती को फैलाकर फेफड़ों की क्षमता में सुधार करता है।
  • पाचन शक्ति को उत्तेजित करता है।
  • कमर व कूल्हों की अकड़न को दूर करता है।
  • शरीर का संतुलन और स्थिरता बढ़ाता है।

3. सावधानियां

  • उच्च रक्तचाप, चक्कर आने की समस्या या माइग्रेन में सावधानी।
  • घुटने या कूल्हे में गंभीर चोट होने पर न करें।
  • गर्भवती महिलाएं इसे प्रशिक्षक की देखरेख में ही करें।
  • रीढ़ की गंभीर समस्या में डॉक्टर या योगाचार्य से सलाह लें।

4. निष्कर्ष

उत्थित पार्श्वकोणासन एक शक्तिशाली स्टैंडिंग योग मुद्रा है, जो शरीर में ताकत, लचीलापन और संतुलन तीनों को एक साथ विकसित करती है। सही विधि, गहरी सांस और नियमित अभ्यास से यह कमर दर्द, पाचन विकार और मांसपेशियों की जकड़न में लाभकारी है। परंतु इसे अपनी क्षमता और स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार ही करना चाहिए।

Sunday, August 3, 2025

मुफ़्त औषधि क्या है?

 मुफ़्त औषधि क्या है?


1. जल्दी सोना और जल्दी उठना औषधि है।

2. सुबह ईश्वर का स्मरण औषधि है।

3. योग, प्राणायाम और व्यायाम औषधि हैं।

4. सुबह और शाम की सैर भी औषधि है।

5. उपवास भी सभी रोगों की औषधि है।

6. सूर्य का प्रकाश भी औषधि है।

7. मिट्टी के बर्तन से पानी पीना भी औषधि है।

8. ताली बजाना भी औषधि है।

9. अच्छी तरह चबाना औषधि है।

10. पानी पीना और ध्यानपूर्वक खाना औषधि है।

11. भोजन के बाद वज्रासन में बैठना औषधि है।

12. प्रसन्न रहने का निश्चय करना औषधि है।

13. कभी-कभी मौन भी औषधि है।

14. हँसी-मजाक औषधि है।

15. संतोष औषधि है।

16. मन और शरीर की शांति औषधि है।

17. ईमानदारी और सकारात्मकता दवा है।

18. निस्वार्थ प्रेम और भावनाएँ भी दवा हैं।

19. दूसरों का भला करना दवा है।

20. पुण्य कर्म करना दवा है।

21. दूसरों के साथ सामंजस्य बिठाना दवा है।

22. खाना-पीना और परिवार के साथ समय बिताना दवा है।

23. हर सच्चा और अच्छा दोस्त बिना पैसों का एक पूरा मेडिकल स्टोर है।

24. शांत, व्यस्त, स्वस्थ और ऊर्जावान रहना दवा है।

25. हर नए दिन का भरपूर आनंद लेना दवा है।


ये सभी दवाइयाँ पूरी तरह से मुफ़्त हैं!

उत्थित लोलासन क्या है? उत्थित लोलासन करने का सरल विधि, विशेष लाभ, सावधानी और निष्कर्ष

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