Saturday, March 22, 2025

शीतली प्राणायाम क्या है? ​शीतली प्राणायाम करने की विधि, ​शीतली प्राणायाम के लाभ, सावधानियां और निष्कर्ष

शीतली प्राणायाम क्या है? शीतली प्राणायाम करने की विधि, शीतली प्राणायाम के लाभ, सावधानियां और निष्कर्ष


शीतली प्राणायाम योग की एक महत्वपूर्ण श्वास तकनीक है, जिसका उद्देश्य शरीर और मन को शीतलता प्रदान करना है। संस्कृत में 'शीतली' का अर्थ है 'ठंडा' या 'शीतल', जो इस प्राणायाम के प्रभाव को दर्शाता है। यह प्राणायाम विशेष रूप से गर्मी के मौसम में लाभदायक होता है, क्योंकि यह शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करता है।


शीतली प्राणायाम करने की विधि

  1. आरामदायक स्थिति अपनाएं:

    • सुखासन, पद्मासन या किसी भी आरामदायक ध्यानात्मक आसन में बैठें।

    • रीढ़ को सीधा रखें और हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रखें।

  2. जीभ की स्थिति:

    • जीभ को बाहर निकालें और उसके किनारों को मोड़कर एक नली (ट्यूब) का आकार बनाएं। यदि जीभ को इस प्रकार मोड़ना संभव न हो, तो शीतकारी प्राणायाम का अभ्यास करें।

  3. श्वास प्रक्रिया:

    • जीभ की बनी नली के माध्यम से धीरे-धीरे और गहराई से श्वास अंदर पूरक

    •  लें, जिससे ठंडी हवा फेफड़ों तक पहुंचे।

    • श्वास भरने के बाद जीभ को अंदर लें और मुंह बंद करें।

    • कंठ को छाती से लगाकर जालंधर बंध लगाएं और यथासंभव श्वास को रोकें।

    • बंद को छोड़ें और नाक के माध्यम से धीरे-धीरे श्वास बाहर रेचक निकालें।

  4. अवधि:

    • शुरुआत में इस प्रक्रिया को 2-3 बार दोहराएं। अभ्यास बढ़ने पर इसे 5 से 10 बार रोग या आवश्यकतानुसार कर सकते हैं।


शीतली प्राणायाम के लाभ

  • शरीर को ठंडक प्रदान करता है: यह प्राणायाम शरीर के तापमान को कम करता है और गर्मी के प्रभाव को संतुलित करता है।

  • मानसिक शांति: तनाव, चिंता और क्रोध को कम करके मन को शांत करता है।

  • पाचन में सुधार: पाचन तंत्र को सक्रिय करता है और अपच जैसी समस्याओं में राहत देता है।

  • रक्तचाप नियंत्रण: उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक होता है। पित्त के रोगों में लाभप्रद है। रक्तशोधन भी करता है। 

  • रक्त शुद्धि: रक्त को शुद्ध करता है, जिससे त्वचा में निखार आता है।

  • नेत्र स्वास्थ्य: आंखों की जलन और लालिमा को कम करता है, जिससे दृष्टि में सुधार होता है।

  • आहार नियंत्रण : इसकी सिद्धि से भूख-प्यास पर विजय प्राप्त होती है, ऐसा योगग्रन्थों में कहा गया है।

  • जिह्वा, मुँह एवं गले के रोगों में लाभप्रद है। गुल्म, प्लीहा, ज्वर, अजीर्ण आदि ठीक होते हैं।


सावधानियां

  • सर्दी या खांसी: यदि आपको सर्दी, खांसी या टॉन्सिल की समस्या है, तो इस प्राणायाम से बचें।

  • निम्न रक्तचाप: जिनका रक्तचाप सामान्य से कम है, उन्हें यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।

  • कब्ज के मरीज: पुरानी कब्ज से पीड़ित लोग इस प्राणायाम का अभ्यास न करें।

  • सर्द मौसम में: ठंडे मौसम में इस प्राणायाम का अभ्यास करने से बचें, क्योंकि यह शरीर में ठंडक बढ़ा सकता है।

  • कुम्भक के साथ जालन्धर बन्ध भी लगा सकते हैं। कफ प्रकृतिवालों एवं टॉन्सिल के रोगियों को शीतली और सीत्कारी प्राणायाम नहीं करना चाहिए।

  • शीतकाल में इसका अभ्यास कम करें।


निष्कर्ष

शीतली प्राणायाम एक प्रभावशाली योगिक तकनीक है, जो शरीर और मन को शीतलता और शांति प्रदान करती है। नियमित अभ्यास से पाचन, रक्तचाप और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। हालांकि, इसे करते समय उपरोक्त सावधानियों का पालन करना आवश्यक है ताकि किसी भी प्रतिकूल प्रभाव से बचा जा सके। यदि आप किसी स्वास्थ्य समस्या से ग्रस्त हैं, तो इस प्राणायाम को शुरू करने से पहले योग विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श करें।

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