ततः क्षीयते प्रकाशावरणम्,
धारणासु च योग्यता मनसः।
धारणासु च योग्यता मनसः।
(योगदर्शन 2.52,53)
प्राणायाम करने से मन पर पड़ा हुआ असत्, अविद्या एवं क्लेश-रूपी तमस् का आवरण क्षीण हो जाता है। परिशुद्ध हुए मन में धारणा (एकाग्रता) स्वतः होने लगती है तथा धारणा से योग की उन्नत स्थितियों-ध्यान एवं समाधि-की ओर आगे बढ़ा जाता है।
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