वृक्षासन के अभ्यास का सही तरीका :-
1. योग मैट पर सावधान की मुद्रा में सीधे खड़े हो जाएं।
2. दोनों हाथ को जांघों के पास ले आएं।
3. धीरे-धीरे दाएं घुटने को मोड़ते हुए उसे बायीं जांघ पर रखें।
4. बाएं पैर को इस दौरान मजबूती से जमीन पर जमाए रखें।
5. बाएं पैर को एकदम सीधा रखें और सांसों की गति को सामान्य करें।
6. धीरे से सांस खींचते हुए दोनों हाथों को ऊपर की तरफ उठाएं।
7. दोनों हाथों को ऊपर ले जाकर 'नमस्कार' की मुद्रा बनाएं।
8. दूर रखी किसी वस्तु पर नजर गड़ाए रखें और संतुलन बनाए रखें।
9. रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। शरीर मजबूत के साथ ही लचीला भी रहेगा।
10. गहरी सांसें भीतर की ओर खींचते रहें।
11. सांसें छोड़ते हुए शरीर को ढीला छोड़ दें।
12. धीरे-धीरे हाथों को नीचे की तरफ लेकर आएं।
13. अब दायीं टांग को भी जमीन पर लगाएं।
14. वैसे ही खड़े हो जाएं जैसे आप आसन से पहले खड़े थे।
15. इसी प्रक्रिया को अब बाएं पैर के साथ भी दोहराएं।
वृक्षासन या ट्री पोज़ करने से कई तरह के लाभ मिलते हैं: -
शरीर और मन का संतुलनवृक्षासन करने से शरीर का संतुलन और स्थिरता बेहतर होती है. यह शारीरिक और भावनात्मक दोनों तरह से संतुलन बनाने में मदद करता है।
मानसिक स्वास्थ्य
वृक्षासन करने से मानसिक शांति मिलती है और चिंता-तनाव कम होता है. यह दिमाग को तेज करता है और एकाग्रता बढ़ाता है।
शरीर की मज़बूती
वृक्षासन से पैरों, टखनों, पिंडलियों, घुटनों, और जांघों की मांसपेशियां मज़बूत होती हैं. यह बांह की मांसपेशियों को भी मज़बूत करता है।
रीढ़ और पेट की सेहत
वृक्षासन से रीढ़ और पेट स्वस्थ रहते हैं।
साइटिका में राहत
साइटिका के दर्द को कम करने में वृक्षासन का अभ्यास फ़ायदेमंद होता है।
लचीलापन
वृक्षासन से शरीर की लचक बढ़ती है।
आत्मविश्वास
वृक्षासन से आत्मविश्वास बढ़ता है।
पीठ दर्द में राहत
वृक्षासन से पीठ दर्द का खतरा कम होता है
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