अनुलोम विलोम प्राणायाम के निरन्तरता कम से
कम 5 मिनट से लेकर 30 मिनट तक
अनुलोम का अर्थ होता है सीधा और विलोम का
अर्थ है उल्टा। यहां पर सीधा का अर्थ है नासिका या नाक का दाहिना छिद्र और उल्टा
का अर्थ है-नाक का बायां छिद्र। अर्थात अनुलोम-विलोम प्राणायाम में नाक के
दाएं छिद्र से सांस
खींचते हैं, तो बायीं नाक के छिद्र से सांस बाहर निकालते है। इसी तरह यदि
नाक के बाएं छिद्र से सांस खींचते है, तो नाक के दाहिने छिद्र से सांस को बाहर
निकालते है। अनुलोम-विलोम प्राणायाम को कुछ योगीगण 'नाड़ी शोधक प्राणायाम' भी कहते है। उनके
अनुसार इसके नियमित अभ्यास से शरीर की समस्त नाड़ियों का शोधन होता है यानी वे
स्वच्छ व निरोगी बनी रहती है
लाभ
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फेफड़े शक्तिशाली
होते है।
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सर्दी, जुकाम व दमा की
शिकायतों से काफी हद तक बचाव होता है।
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हृदय बलवान होता
है।
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गठिया के लिए
फायदेमंद है।
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मांसपेशियों की
प्रणाली में सुधार करता है।
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पाचन तंत्र को
दुरुस्त करता है।
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तनाव और चिंता को
कम करता है।
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पूरे शरीर में
शुद्ध ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाता है।
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हमारे शरीर की ७२,७२,१०,२१० सुक्ष्मादी
सुक्ष्म नाडी शुद्ध हो जाती है।
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हार्ट की ब्लाँकेज
खुल जाते है।
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हाय, लो दोन्हो रक्त चाप
ठिक हो जायेंगे|
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आर्थराटीस, रोमेटोर आर्थराटीस, कार्टीलेज घीसना
ऐसी बीमारीओंको ठीक हो जाती है।
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टेढे लीगामेंटस
सीधे हो जायेंगे|
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व्हेरीकोज व्हेनस
ठीक हो जाती है।
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कोलेस्टाँल, टाँक्सीनस, आँस्कीडण्टस इसके
जैसे विजतीय पदार्थ शरीर के बहार नीकल जाते है।
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सायकीक पेंशनट्स को
फायदा होता है।
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कीडनी नँचरली स्वछ
होती है, डायलेसीस करने की जरुरत नहीं पडती|
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सबसे बड़ा खतरनाक
कँन्सर तक ठीक हो जाता है।
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सभी प्रकारकी
अँलार्जीयाँ मीट जाती है।
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मेमरी बढाने की
लीये|
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सर्दी, खाँसी, नाक, गला ठीक हो जाता
है।
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ब्रेन ट्युमर भी
ठीक हो जाता है।
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सभी प्रकार के चर्म
समस्या मीट जाती है।
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मस्तिषक के सम्बधित
सभि व्याधिओको मीटा ने के लिये।
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पर्किनसन, प्यारालेसिस, लुलापन इत्यादी
स्नयुओ के सम्बधित सभि व्याधिओको मीटा ने के लिये।
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सायनस की व्याधि
मीट जाती है।
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डायबीटीस पुरी तरह
मीट जाती है।
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टाँन्सीलस की
व्याधि मीट जाती है।
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थण्डी और गरम हवा
के उपयोग से हमारे शरीर का तापमान संतुलित रेहता है।
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इससे हमारी
रोग-प्रतिकारक शक्ती बढ जाती है।