मत्यासन क्या है? मत्यासन करने का सरल विधि, विशेष लाभ, सावधानी और निष्कर्ष
मत्स्यासन (Matsyasana) को संस्कृत में "मत्स्य"
यानी मछली और "आसन" यानी बैठने/लेटने की स्थिति कहा जाता है। यह एक पीठ
के बल लेटकर किया जाने वाला योगासन है, जिसमें शरीर का आकार पानी में तैरती हुई मछली जैसा
बनता है। इसे "फिश पोज़" (Fish Pose) भी कहते हैं।
मत्स्यासन करने की सरल विधि
- शुरुआत
की स्थिति
- समतल
जमीन पर दरी या योगा मैट बिछाएं।
- पद्मासन
(Palms
Cross-legged Position) में बैठें।
- फिर
धीरे-धीरे पीठ के बल लेट जाएं।
- मुख्य
आसन मुद्रा
- दोनों
हाथों को जांघों के नीचे रखें, हथेलियां जमीन की ओर रहें।
- कोहनी
का सहारा लेकर छाती को ऊपर उठाएं और गर्दन को पीछे झुकाएं।
- सिर
के पीछे का हिस्सा जमीन को हल्के से स्पर्श करे, वजन अधिकतर कोहनी और कूल्हों
पर रहे।
- इस
स्थिति में पेट ऊपर की ओर तना रहेगा और छाती फैल जाएगी।
- धीरे-धीरे
सामान्य या गहरी सांस लें।
- समाप्ति
- वापस
आने के लिए पहले सिर को उठाएं, फिर पीठ को जमीन पर लाएं।
- पैरों
को सीधा करें और रिलैक्स पोज़ (शवासन) में थोड़ी देर लेटें।
विशेष लाभ
- थायरॉइड
व पैराथायरॉइड ग्रंथि को सक्रिय करता है – गर्दन का पीछे झुकना इन ग्रंथियों को उत्तेजित
करता है।
- फेफड़ों
की क्षमता बढ़ाता है – छाती फैलने से श्वसन क्रिया बेहतर होती है।
- रीढ़
की लचीलापन बढ़ाता है – खासकर ग्रीवा और वक्ष (neck & upper back) में।
- पाचन
तंत्र को लाभ – पेट
में हल्का खिंचाव आंतों को सक्रिय करता है।
- थकान
और तनाव में कमी – मन को
शांति और शरीर को ऊर्जा मिलती है।
सावधानी
- गर्दन
या रीढ़ की गंभीर चोट, सर्वाइकल
स्पॉन्डिलाइटिस, हर्निया, या दिल के रोग होने पर इस आसन
को न करें।
- शुरुआती
लोग धीरे-धीरे अभ्यास करें और ज़ोर न डालें।
- उच्च
रक्तचाप (High
BP) या
माइग्रेन में अभ्यास योग शिक्षक की देखरेख में करें।
- गर्भावस्था
में यह आसन न करें।
निष्कर्ष
मत्स्यासन
एक सरल लेकिन प्रभावशाली योगासन है, जो थायरॉइड स्वास्थ्य, फेफड़ों की क्षमता और रीढ़ की लचीलापन बढ़ाने में मदद
करता है। नियमित अभ्यास से यह तनाव कम करता है और शरीर में ऊर्जा प्रवाह को बेहतर
बनाता है। बस इसे धीरे-धीरे, सावधानीपूर्वक
और सही तकनीक से करना चाहिए।