सूर्य नमस्कार का अर्थ है सूर्य की
प्रार्थना। प्राचीन समय से, लोग सुबह
जल्दी उठते हैं और सूर्य की प्रार्थना करते हैं। सूर्य नमस्कार योग के साथ दिन की
शुरुआत करें तो ये हमारे तन-मन दोनों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होता है।
प्रतिदिन हम अगर केवल सूर्य नमस्कार (surya namaskar aasan) का ही अभ्यास कर लें तो, पूरे शरीर के सभी अगों
का सर्वंग्गिन व्यायाम हो जाता है। इस सूर्य नमस्कार योग की प्रक्रिया लगभग 12 चरणों में पूरी होती
है और प्रत्येक चरण में एक आसन होता है। इन 12 योगासनों की क्रिया को सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar) कहा जाता है।
इसका प्रतिदिन अभ्यास करने से हमें स्वस्थ आरोग्य हेल्दी बनाता है।
सूर्य नमस्कार चरण मूल रूप से शक्तिशाली योग मुद्राएं हैं जो एक उत्कृष्ट, संपूर्ण हृदय संबंधी कसरत प्रदान करते हैं और साथ ही शरीर और दिमाग पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। दूसरे शब्दों में, सूर्य नमस्कार, जिसे "सूर्य नमस्कार" के रूप में भी जाना जाता है, एक ऐसी तकनीक है जिसका उपयोग सदियों से सूर्य के प्रति आभार व्यक्त करने के तरीके के रूप में किया जाता रहा है। सूर्य वह ऊर्जा प्रदान करता है जो जीवन के सभी रूपों को जीवित रहने के लिए आवश्यक है, इसलिए इसका सम्मान करके, हम बस अपने जीवन में इसके महान महत्व को स्वीकार कर रहे हैं!
अधिक विशिष्ट रूप से, सूर्य नमस्कार 12 पुनर्योजी योग मुद्राओं की एक श्रृंखला है जो किसी व्यक्ति के शरीर के तीन महत्वपूर्ण खंडों (या दोषों) अर्थात् कफ, पित्त और वात को संतुलित करने में मदद करती है। इन खंडों में, "कफ दोष" में पृथ्वी और जल शामिल हैं; जल और अग्नि का "पित्त दोष"; और, अंतिम लेकिन महत्वपूर्ण, वायु और अंतरिक्ष का "वात दोष"।
आयुर्वेद (प्राचीन भारतीय वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली) के अनुसार, हमारे शरीर और दिमाग को उचित सामंजस्य में काम करने के लिए, हमें उपर्युक्त सभी तत्वों का सही संतुलन होना चाहिए। कुल मिलाकर, सूर्य नमस्कार 12 शक्तिशाली योग मुद्राओं का एक सेट है जो संपूर्ण शरीर की कसरत प्रदान करता है।
यही कारण है कि सूर्य नमस्कार के सभी 12 आसन सीखना हमारे समग्र स्वास्थ्य और कल्याण को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि ये नमस्कार सूर्योदय के समय उगते सूरज की ओर मुंह करके करना सबसे अच्छा है।
प्राचीन भारतीय संतों (ऋषियों), विद्वानों और दार्शनिकों का मानना था कि हमारे शरीर के कई अलग-अलग हिस्से अलग-अलग देवताओं द्वारा नियंत्रित होते हैं, जिन्हें विशेष रूप से "दिव्य आवेगों" के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। आयुर्वेद के प्राचीन भारतीय उपचार विज्ञान के अनुसार, नाभि के पीछे स्थित सौर जाल-को सभी मानव शरीर का केंद्रीय (या मुख्य) बिंदु माना जाता है।
सौर जाल, जिसे "शरीर का दूसरा मस्तिष्क" भी कहा जाता है, एक अद्भुत शारीरिक संरचना है। यह सीधे सूर्य से जुड़ा हुआ है, और आप इसके कार्यों और यह शरीर को कैसे प्रभावित करता है, इसके बारे में और अधिक जानकर आश्चर्यचकित होंगे। प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली के अनुसार, नियमित रूप से सूर्य नमस्कार आसन (या पोज़) का अभ्यास करने से सौर जाल को बढ़ाने में मदद मिल सकती है और इस प्रकार किसी व्यक्ति की रचनात्मक और सहज क्षमताओं में वृद्धि हो सकती है।
हम अक्सर अपने जीवन में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हमारे पास व्यायाम या ध्यान करने का भी समय नहीं बच पाता है । हालाँकि हमारी जीवनशैली में शारीरिक शक्ति की आवश्यकता होती है, लेकिन अब यह पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है कि हम अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें और अपने मन को शांत करने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए दिन में कुछ समय व्यतीत करें।
सूर्य
नमस्कार मंत्र – Surya Namaskar Mantra
सूर्य नमस्कार में 12 मंत्र बोले जाते हैं। प्रत्येक मंत्र में सूर्य का भिन्न नाम लिया जाता है। सभी मंत्र का एक सरल अर्थ है – सूर्य को (मेरा) नमस्कार है। सूर्य नमस्कार की शुरुआत करने से पहले या आसन के दौरान प्रत्येक चरण में सूर्य मंत्रो के उच्चारण से विशेष लाभ होता है।
रोजाना सूर्य नमस्कार (surya namaskar) करने से एक नहीं अनके फायदे होते हैं, लेकिन इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि उसे सही तरीके से करें। सूर्य नमस्कार एक आसन न होकर 12 योग आसनों का एक क्रमबद्ध तरीके से किया जाने वाला योग है।
स्थिति का नामः प्रणामासन या नमस्कार-मुद्रा
श्वास : सामान्य
एकाग्रता-केन्द्र : अनाहतचक्र
बीज मंत्र- ओ३म् हां
मन्त्र : ओ३म् मित्राय नमः अर्थात् हे विश्व के मित्र! आपको नमस्कार है।
सूर्योदय के समय सूर्याभिमुख होकर सबसे पहले स्टेप में दोनों हाथों को जोड़कर (नमस्कार की पोजिशन में) सावधान की स्थिति में सीधे खड़े हो जाएं। अपना पूरा वजन दोनों पैरों पर समान रूप से डालें। फिर अपनी आंखों को बंद करके तथा मन को शांत और एकाग्र चित करके अपने कन्धों को ढीला छोड़ें फिर दोनों हाथो को उठाकर सामने लाये और सांस छोड़ते हुए हथेलियों को आपस में जोड़कर अपनी छाती या वक्षस्थल के सामने नमस्कार मुद्रा में लाएं और सूर्य नमस्कार श्लोक का आवाहन करें। सूर्य नमस्कार (surya namaskar ) की ऐसी स्थिति को ही नमस्कार या प्रणाम मुद्रा कहते हैं।
स्थिति का नाम : ऊर्ध्वहस्तासन/हस्तोत्तानासन
श्वास : श्वास लेते हुए
एकाग्रता-केन्द्र : विशुद्धि चक्र
बीज मंत्र- ओ३म् हीं
मन्त्र : ओ३म् रवये नमः अर्थात् हे संसार में चहल-पहल लाने वाले! आपको नमस्कार है।
स्थिति का नाम : पादहस्तासन
श्वास : श्वास छोड़ते हुए
एकाग्रता-केन्द्र : स्वाधिष्ठान चक्र
बीज मंत्र- ओ३म् हूं
मन्त्र : ओ३म् सूर्याय नमः अर्थात् हे संसार के जीवनदाता! आपको नमस्कार है।
सूर्य नमस्कार के अब तीसरे स्टेप में सांस को बाहर निकालते हुए धीरे-धीरे आगे की ओर झुकना है। हाथों को सीधे रखते हुए आगे की ओर झुकाएं और दोनों हाथों को पैरों के दाएं-बाएं करते हुए जमीन को टच करें। ध्यान रखें कि इस दौरान रीढ़ की हड्डी और घुटने सीधे रहें। सूर्य नमस्कार (surya namaskar ) की इस स्थिति को पादहस्तासन कहा जाता है।
स्थिति का नाम : दक्षिण-अश्व संचालनासन
श्वास : श्वास लेते हुए
एकाग्रता-केन्द्र : आज्ञाचक्र
बीज मंत्र- ओ३म् हैं
मन्त्र : ओ३म् भानवे नमः अर्थात् हे प्रकाशपुंज! आपको नमस्कार है।
सूर्य नमस्कार के अब चौथे स्टेप में सांस भरते हुए जितना संभव हो सके अपना दायां पैर पीछे की ओर ले जाएं। फिर दाएं घुटने को जमीन पर रखें और नजरें ऊपर आसमान की ओर रखें। इस दौरान ये कोशिश करें कि आपका बायां पैर दोनों हथेलियों के बीच में ही रहे। इस आसन में थोड़ी देर रूके। सूर्य नमस्कार (surya namaskar) की इस स्थिति को दक्षिण अश्व संचालन आसन कहा जाता है।
स्थिति का नाम : पर्वतासन
श्वास : श्वास छोड़ते हुए
एकाग्रता-केन्द्र : विशुद्धि चक्र
बीज मंत्र- ओ३म् हौं
मन्त्र : ओ३म् खगाय नमः अर्थात् हे आकाश में गतिशील देव! आपको नमस्कार है।
सूर्य नमस्कार के अब पांचवें स्टेप में सांस भरते हुए बाएं पैर को पीछे ले जाएं और पूरे शरीर को सीधी रेखा में ही रखें। इस दौरान आपके हाथ जमीन के लंबवत होने चाहिए। दोनों एड़ियों को आपस में सटाकर रखें। सूर्य नमस्कार (surya namaskar) की इस स्थिति को पर्वत आसन कहा जाता है।
स्थिति का नाम : अष्ठांगासन/साष्ठांगासन/अधेमुखशवासन
श्वास : श्वास-प्रश्वास सामान्य
एकाग्रता-केन्द्र : मणिपूरचक्र
बीज मंत्र- ओ३म् हः
मन्त्र : ओ३म् पूष्णे नमः अर्थात् हे संसार के पोषक! आपको नमस्कार है।
सूर्य नमस्कार के अब छठे स्टेप में आराम से अपने दोनों घुटने जमीन पर लाएं और सांस बाहर की ओर छोड़ें। अपने कूल्हों को ऊपर उठाते हुए पूरे शरीर को आगे की ओर खिसकाएं। इस स्थिति में अपनी कहानियों को थोड़ा ऊपर ही रखना है परंतु छाती, दोनों हथेलियां,और ठोड़ी (chin) यह जमीन से टच करती रहेंगी। सूर्य नमस्कार (surya namaskar ) की ऐसी स्थिति को ही अष्टांग नमस्कार कहते हैं।
स्थिति का नाम : भुजंगासन
श्वास : श्वास लेते हुए
एकाग्रता-केन्द्र : स्वाधिष्ठान चक्र
बीज मंत्र- ओ३म् हां
मन्त्र : ओ३म् हिरण्यगर्भाय नमः अर्थात् हे ज्योतिर्मय! आनन्दमय! आपको नमस्कार है।
सूर्य नमस्कार के अब सातवें स्टेप में सांस भरते हुए अपने शरीर के ऊपरी भाग को गर्दन पीछे करते हुए उठाएं। ऐसा करते समय थोड़ी देर के लिए इसी स्थिति में रुकें और कंधे कानों से दूर, नजरें आसमान की ओर रखें। यह स्तिथि भुजंग यानी की cobra से मिलती-जुलती लगती है। दोनों पैरों को आपस में जोड़कर रखेंगें। सूर्य नमस्कार (surya namaskar ) की ऐसी स्थिति को ही भुजंगासन कहते हैं।
स्थिति का नाम : पर्वत आसन
श्वास : श्वास छोड़ते हुए
एकाग्रता-केन्द्र : विशुद्धि चक्र
बीज मंत्र- ओ३म् हीं
मन्त्र : ओ३म् मरीचये नमः अर्थात् हे संसार के प्रकाशक स्वामी! आपको नमस्कार है।
सूर्य नमस्कार के अब आठवें स्टेप में सांस बाहर की ओर छोड़ते हुए कूल्हों और रीढ़ की हड्डी के निचले भाग को ऊपर की ओर उठाएं। चेस्ट को नीचे झुकाकर एक उल्टे वी (˄) की तरह शेप में आ जाएं। इस दौरान एड़ियों को ज़मीन पर ही रखने का प्रयास करें। सूर्य नमस्कार (surya namaskar ) की ऐसी स्थिति को ही पर्वत आसन कहते हैं।
स्थिति का नाम : वाम अश्वसंचालन आसन (Vam Ashwa Sanchalan Aasana – Equestrian Pose)
श्वास : श्वास लेते हुए
एकाग्रता-केन्द्र : आज्ञाचक्र
बीज मंत्र- ओ३म् हूं
मन्त्र : ओ३म् आदित्याय नमः अर्थात् हे संसार के रक्षक! आपको नमस्कार है।
सूर्य नमस्कार के अब नौवें स्टेप में आपको सांस भरते हुए दायां पैर दोनों हाथों के बीच ले जाना है और बाएं घुटने को जमीन पर रखना है। इस दौरान सिर और चेहरा ऊपर की तरफ रखें और पीछे देखने का प्रयत्न करें। सूर्य नमस्कार (surya namaskar) की ऐसी स्थिति को ही वाम अश्वसंचालन आसन कहते हैं।
स्थिति का नाम : पादहस्तासन
श्वास : श्वास छोड़ते हुए
एकाग्रता-केन्द्र : स्वाधिष्ठान चक्र
बीज मंत्र- ओ३म् हैं
मन्त्र : ओ३म् सवित्रो नमः अर्थात् हे सृष्टिकर्त्ता! आपको नमस्कार है।
सूर्य नमस्कार के अब दसवें स्टेप में सांस बाहर की ओर छोड़ते हुए बाएं पैर को आगे लाएं और हथेलियों को जमीन पर रखें। धीमे-धीमे अपने घुटनों को सीधा करें। हथेलियों को ज़मीन पर लगाकर रखें और सर नीचे की तरफ रहेगा और घुटनों को थोड़ा मुड़ा भी रहने दे सकतें हैं। अगर संभव हो तो अपनी नाक को घुटनो से छूने का प्रयत्न करें। सूर्य नमस्कार (surya namaskar ) की ऐसी स्थिति को ही हस्तपाद आसन या पाद-हस्तानासन कहते हैं।
स्थिति का नाम : ऊर्ध्वहस्तासन/हस्तोत्तानासन
श्वास : श्वास लेते हुए
एकाग्रता-केन्द्र : विशुद्धि चक्र
बीज मंत्र- ओ३म् हौं
मन्त्र : ओ३म् अर्काय नमः अर्थात् हे अपवित्राता के शोध्क! आपको नमस्कार है।
सूर्य नमस्कार के अब ग्यारहवें स्टेप में सांस लेते हुए रीढ़ की हड्डी को धीरे से ऊपर की ओर लाएं और हाथों को ऊपर और पीछे की ओर ले जाएं। इस दौरान आपने कूल्हों को आगे की ओर धकेलें। दोनों हाथ कानों को स्पर्श करेंगे और खींचाव ऊपर की ओर महसूस करें। सूर्य नमस्कार (surya namaskar) की ऐसी स्थिति को ही हस्तउत्थान आसन कहते हैं।
स्थिति का नाम : प्रणामासन या नमस्कार-मुद्रा
श्वास : श्वास-प्रश्वास सामान्य
एकाग्रता-केन्द्र : अनाहतचक्र
बीज मंत्र- ओ३म् हः
मन्त्र : ओ३म् भास्कराय नमः अर्थात् हे ज्ञान-दाता! आपको नमस्कार है।
सूर्य नमस्कार के अब बारहवें स्टेप में सांस बाहर की ओर छोड़ते हुए पहले शरीर सीधा करें, फिर हाथों को नीचे लाएं और पहले जैसी प्रणाम की स्थिति में आ जायें। इस दौरान एकचित्त होकर शरीर में हो रही हलचल को महसूस करें। सूर्य नमस्कार (surya namaskar ) की ऐसी स्थिति को ही नमस्कार या प्रणाम मुद्रा कहते हैं।
सूर्य
नमस्कार के लाभ – Benefits of Surya Namaskar
सूर्य नमस्कार के लाभ एक नहीं बल्कि
अनेक हैं। यदि आप अपने शरीर को अच्छे आकार में रखना चाहते हैं, तो आपको नियमित रूप से सूर्य को
नमस्कार करने की आवश्यकता है। योगासनो में सबसे असर कारी और लाभदायक सूर्य नमस्कार
है। सूर्य नमस्कार करने से कई रोगों से छुटकारा मिलता है। तो आइए जानते हैं कि
सूर्य नमस्कार योग करने से कौन-कौन से फायदे होते हैं –
सूर्य नमस्कार के लाभ का मंत्र
आदित्यस्य
नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने ।
आयुः प्रज्ञा बलं वीर्यं तेजस्तेषां च जायते।।
अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम्।
सूर्यपादोदकं तीर्थं जठरे धारयाम्यहम्।।
अर्थात जो प्रतिदिन
सूर्य नमस्कार करते हैं उनकी आयु, बुद्धि, बल, वीर्य एवं
तेज (ओज) बढ़ता है। अकाल मृत्यु नहीं होती है तथा सभी प्रकार की व्याधियों का नाश
होता है। सूर्य नमस्कार एक सम्पूर्ण व्यायाम है।
सूर्य
नमस्कार वेट लॉस के लिए है बेस्ट
अगर आप मोटापे के शिकार है और आपका
वजन कम होने का नाम नहीं ले रहा है तो रोजाना 21 बार सूर्य नमस्कार के आसन करें।
क्योंकि सूर्य नमस्कार वेट लॉस के लिए सबसे बेस्ट एक्सरसाइज है। जी हां, स्पीड में करने से
ये कार्डियोवास्कुलर वर्काउट के तौर पर कार्य करते हैं। इससे पेट की मांसपेशियों
में खिंचाव आता है और पेट के आसपास जमे एक्स्ट्रा फैट को कम करने में मदद मिलती
है।
ब्यूटी
बेनिफिट्स
सूर्य नमस्कार (surya namaskar ) करने से शरीर को प्रयाप्त मात्रा में विटामिन डी मिलता हैं, जोकि त्वचा को निखरी और बेदाग बनाता
हैं। इसके अलावा इससे सिर के बाल भी स्वस्थ और मजबूत होते हैं। योग एक्सपर्ट्स के
मुताबिक योग ऐसी क्रिया है, जो चिंता को दूर कर मन को शांत रखने में सहायक साबित हो सकती है।
इस कारण यह माना जा सकता है कि सूर्य नमस्कार के अंतर्गत अलग-अलग चरणों में आने
वाले अलग-अलग 12 योगासनों का नियमित अभ्यास चिंता और तनाव जैसी समस्या को दूर कर
बालों को मजबूती प्रदान करने के साथ त्वचा संबंधित कई समस्याओं से राहत दिलाने में
सहायक साबित हो सकता है।
ऊर्जा
का संचार होता है
जैसा कि हमने शुरुआत में कहा, सूर्य नमस्कार एक योग मुद्रा है जिसमें 12 लगातार योग किए जाते हैं। इन आसनों की क्रिया शरीर के हर हिस्से को प्रभावित करती है। साथ ही, योग प्रक्रिया के दौरान प्रत्येक चरण पर सांस लेने की विधि आपकी आंतों की गतिविधि को भी बढ़ाती है और शरीर की प्रक्रिया को बेहतर बनाने में मदद करती है। रोजाना 10-15 मिनट सूर्य नमस्कार करने से शरीर में कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन बढ़ता हैं। इससे आपके शरीर को ऊर्जा मिलती है,जोकि आपको बीमारियों से बचाती हैं।
मांसपेशियों और हड्डियों को बनाएं मजबूत
सूर्य नमस्कार में कई आसन शरीर को अधिक ताकत देते हैं। इनमें से कई योगासन शरीर से जुड़ी मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत बनाने का काम भी करते हैं। इसका शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
तनाव से राहत
हमारे पास बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें तनाव से राहत की सख्त जरूरत है। कई बीमारियां घर में लगातार काम और तनाव के कारण होती हैं। सूर्य नमस्कार के योग में ध्यान भी हो जाता है और मन को एकाग्र करने की शक्ति भी मिलती है। इसकी वजह तनाव हमारे दिमाग से कोसों दूर रहता है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है और आपकी दृष्टि को सकारात्मक बनाए रखने में भी मदद करता है।
अनियमित पीरियड की समस्या में सहायक
बहुत सी महिलाओं
में पीरियड्स अनियमित होते हैं। इस तरह की समस्या रोजाना सूर्य नमस्कार करने से
ठीक हो सकती है। क्योंकि इस दौरान किये जाने वाले आसनों से अंसुतलित हार्मोन
बैलेंस होते हैं और पीरियड्स रेगुलर होने लगते हैं।
डायबिटीज़ को करे कंट्रोल
रोजाना 3 से 4 मिनट सूर्य नमस्कार करने से भी आप
काफी हद तक डायबियीज को कंट्रोल कर सकते हैं। सूर्य नमस्कार से ना सिर्फ अतिरिक्त
शुगर की ख़पत होती है, बल्कि यह पेन्क्रियाज़ को भी क्रियाशील बनाता है और पूरे शरीर को
हेल्दी और फिट रखने में मदद करता है।
शरीर को डिटॉक्स करे
हमारे शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालने के लिए सूर्य नमस्कार से बढ़कर अन्य कोई योग नहीं है। इस योग के दौरान आप सांस खींचते और छोड़ते हैं, जिससे हवा आपके फेफड़ों तक और ऑक्सीजन खून तक पहुंचती है। इससे आपके शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड और बाकी जहरीली गैस निकल जाती है और आपकी बॉडी डिटॉक्स हो जाती है।
- सूर्य
नमस्कार से मेरूदण्ड एवं कमर लचीली बनती है।
- उदर, आन्त्र, आमाशय, अग्नाशय, हृदय, फुफ्फुससहित
सम्पूर्ण शरीर को स्वस्थ बनाता है।
- हाथ-पैर-भुजा, जंघा-कंधा आदि सभी
अंगो की मांसपेशियाँ पुष्ट एवं सुन्दर होती है।
- मानसिक
शांति एवं बल, ओज एवं तेज
की वृद्धि करता है।
- मधुमेह, मोटापा, थायराइड आदि रोगों
में विशेष लाभदायक है।
- आत्म
विश्वास में वृद्धि, व्यक्तित्व
विकास में सहायक है।
- चेहरा
तेजस्वी, वाणी
सुमधुर एवं ओजस्वी होती है।
- गले के रोग
मिटते है एवं स्वर अच्छा रहता है।
- शरीर एवं
मन दोनों स्वस्थ बनते हैं।
- मोटी कमर
को पतली एवं लचीली बनाता है।
- धातुक्षीणता
में लाभदायक है।
- रज-वीर्य, दोषों को मिटाता है, महिलाओं में मासिक धर्म
को नियमित करता है।
- रक्त
परिभ्रमण सम्यक् होता है,
जिससे
मुँह की कांति एवं शोभा बढ़ती है।
- शरीर की
अनावश्यक मेद (चर्बी) कम होती है।
- फुफ्फुसों
की कार्य क्षमता बढ़ती है।
- हृदय की
मांसपेशियाँ एवं रक्तवाहिनियाँ स्वस्थ होती हैं।
- रक्त संचार
की गति तेज होने से विजातीय तत्त्व शरीर से बाहर निकलते हैं।
- शरीर के
सभी अंगों को पोषण प्राप्त होता है।
- नलिकाविहीन
ग्रंथियों की क्रियाशीलता सामान्य एवं संतुलित रहती है।
- स्मरण
शक्ति तेज होती है।
- कार्य करने
में कुशलता एवं रूचि बढ़ती है।
- सामाजिक
कार्यों में रूचि बढ़ती है,
मनोऽवसाद
दूर होकर उमंग एवं उत्साह बढ़ता है।
- इम्युनिटी स्ट्रोंग होता है
- एनर्जी लेवल बढाने में सहायक है
- वजन घटाने और बढाने में भी सहायक है
- शरीर को सन्तुलित करता है
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढता है
- पाचन तंत्र बेहतर होता है
- शरीर को ऊर्जा मिलता है
- फेफड़ो तक ज्यादा ऑक्सीजन पहुचती है
आसनों को करने की आवश्यकता नहीं रह जाती क्योंकि इन क्रियाओं में सभी आसनो का सार मिला हुआ है। इसलिए शारीरिक एवं मानसिक आरोग्य के लिए सूर्यनमस्कार श्रेयस्कर है।
सूर्य नमस्कार करने में आवश्यक नियम एवं सावधानियाँ
हर चीज के दो पहलू होते हैं। किसी भी
चीज की अति बुरी होती है। इसी तरह सूर्य नमस्कार को गलत तरीके से करने व क्षमता से
अधिक करने पर कई बार इसके दुष्परिणाम भी होते हैं। सूर्य को नमस्कार करते समय कुछ
बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। अन्यथा आप विपरीत परिणाम भुगत सकते हैं। तो
आइए जानते हैं कि सूर्य नमस्कार के आसन (surya namaskar aasan) करने के दौरान किन
बातों का ध्यान रखना चाहिए –
·
शुरुआत
में सूर्य नमस्कार के आसन धीरे-धीरे करने चाहिए। तेजी से करने व गलत करने से झटका
लग सकता है और आपके अंग इससे प्रभावित भी हो सकते हैं।
·
यदि
आपको पीठ दर्द कम है, तो आपको नियमित रूप से
सूर्य नमस्कार करना चाहिए। लेकिन वहीं अगर आपका पीठ दर्द ज्यादा है तो इस योग को
करने का जोखिम न उठाएं।
·
सूर्य
नमस्कार के दौरान ढीले और आरामदायक कपड़ें ही पहनें।
·
सूर्य
नमस्कार करते समय हमें अपने शरीर की क्षमता के अनुरूप ही सभी स्टेप्स को करना
चाहिए।
·
सूर्य नमस्कार पद्धति में स्थान, काल, परिधान, आयु संबंधी आवश्यक
नियमों का वर्णन किया जा रहा है।
·
अष्टांग योग में वर्णित 5 प्रकार के यम
(अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचयर्, अपरिग्रह) का पालन
करना चाहिए।
·
5 प्रकार के
नियमों (शौच,संतोष, तप, स्वाध्याय, ईश्वरप्रणिधान) का
पालन करना चाहिए।
·
प्रातः शौच के पश्चात् स्नानोपरान्त सूर्य
नमस्कार करना चाहिये।
·
चाय, कॅाफी, तम्बाकू, शराबादि, मादक द्रव्य एवं माँसाहार तथ तामसिक आहार सेवन नहीं करना
चाहिए।
·
सूर्य नमस्कार खाली पेट करना चाहिए।
·
खुले स्थान पर शुद्ध सात्त्विक, निर्मल स्थान पर, प्राकृतिक वातावरण
में (शुद्ध जलवायु) सूयर् नमस्कार करना चाहिए।
·
ज्वर, तीव्र रोग या ऑपरेशन के बाद 4-5 दिन तक सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए।
·
हर्निया
और उच्च रक्तचाप वाले लोगों को भी सूर्य नमस्कार से दूर रहना चाहिए।
·
सूर्य नमस्कार सदैव सूर्य की ओर मुँह करके करना चाहिए।
·
जहां तक संभव हो सूर्य नमस्कार प्रातःकाल 6-7 बजे के बीच करना चाहिए।
·
सूर्य नमस्कार विद्युत का कुचालक चटाइर्, कम्बल या दरी पर करना चाहिए।
·
सूर्य नमस्कार प्रतिदिन नियमपूवर्क मंत्रोच्चारण सहित करना
चाहिए।
·
सूर्य नमस्कार के समय मन चंचल नहीं हो, उसे एकाग्र करना चाहिए।
· अधिक उच्च रक्तचाप, हृदयरोगी तथा ज्वर की अवस्था
में सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए।
· सूर्य नमस्कार के समय शरीर पर पुरूष लंगोट, जांघिया अथवा ढ़ीले वस्त्र पहनकर करना चाहिए।
·
5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे सूर्य नमस्कार नहीं करें।
·
भोजन सात्त्विक, हल्का-सुपाच्य करना चाहिए।
·
अव्यवस्थित दिनचर्या, मिथ्या आहार-विहार का सेवन
नहीं करना चाहिए।
·
सूर्य नमस्कार खाली पेट प्रातः एवं सायं करना चाहिए
·
सूर्य नमस्कार में श्वास हमेशा नासिका से ही लेना चाहिए।
·
प्रदूषण स्थान पर सूयर् नमस्कार नहीं करना चाहिए।
·
सूर्य नमस्कार निश्चित समय पर, नियमित
रूप से, भूखे पेट ही करना चाहिए।
·
गर्भवती
महिलाओं को सूर्य नमस्कार योग नहीं करना चाहिए।
·
महिलाओं
को मासिक धर्म के दौरान सूर्य को नमस्कार नहीं करने की सलाह दी जाती है। क्योंकि
इससे रक्तस्राव ज्यादा होने का खतरा होता है।
·
गर्भवती
महिलाओं को सूर्य नमस्कार योग नहीं करना चाहिए।
·
स्त्रियों में मासिक धमर् में 6 दिन
तक, 4 माह का गभर् होने पर व्यायाम बंद
करें एवं प्रसव के 4 माह बद पुनः शुरू कर सकते हैं।
·
सूर्य
नमस्कार पूरे हो जाने के बाद कुछ देर शव-आसन करें। क्योंकि इससे सांसें सामन्य हो
जाती हैं।
सूर्य नमस्कार कैसे करें - से जुड़े सवाल और जवाब